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00 3 माह के अल्प समय में 80 नक्सली मार गिराए, 125 से अधिक गिरफ्तार किए गए हैं, जबकि 150 ने आत्मसमर्पण किया
रायपुर। नक्सलवाद को लेकर भाजपा की नीति और नीयत शुरू से स्पष्ट है। नक्सलवादियों को उन्हीं की भाषा में जवाब दिया जा रहा है। यह भाजपा की सुस्पष्ट नीति का ही परिणाम है कि पिछले दिनों फोर्स ने नक्सलियों की मांद में घुसकर चुनाव की प्रक्रिया में बाधा पहुंचाने के मंसूबे पर पानी फेर दिया था। भाजपा प्रदेश प्रवक्ता देवलाल ठाकुर ने कांग्रेस के संचार विभाग प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भाजपा की ओर अंगुली उठााने से पहले कांग्रेस के लोगों को पहले अपने गिरेबान में झांककर देखना चाहिए। माओवादी सोच में जकड़े कांग्रेसी अब बगैर पुख्ता जानकारी के कुछ भी बयान दे रहे हैं। छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के लिए खिलाफ लगातार कार्रवाई की जा रही है। इस साल अब तक कम से कम 80 नक्सली मारे गए हैं। 125 से अधिक गिरफ्तार किए गए हैं, जबकि 150 ने आत्मसमर्पण किया है। कुछ दिनो पूर्व ही छत्तीसगढ़ में दो दिन पहले सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में 29 नक्सली मारे गए थे। केंद्रीय गृह मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2004-14 की तुलना में 2014-23 में देश में वामपंथी उग्रवाद से संबंधित हिंसा में 52 प्रतिशत की गिरावट आई है और इस अवधि में मौतों की संख्या 69 प्रतिशत कम होकर 6,035 से 1,868 हो गई है।
ठाकुर ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को मौनी बाबा कहे जाने पर ऐतराज जताते हुए कहा कि यह परंपरा कांग्रेस में रही है, भाजपा में नहीं। 10 वर्षों तक यूपीए शासनकाल में उनके प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को मौनी बाबा बने हुए थे।केवल एक परिवार की भक्ति करने वाली पार्टी में किसी और को कुछ भी बोलने की इजाजत नहीं है। हमारे यहां सीएम विष्णुुदेव साय जी ने स्पष्ट कहा है कि नक्सलियों को उनके लहजे में जवाब दिया जाएगा। बातचीत से समस्याएं हल होती हैं, इसलिए माननीय मुख्यमंत्री जी ने नक्सलियों के लिए बातचीत का रास्ता खोल रखा है, लेकिन अगर वे हथियार उठाएंगे तो इधर से जवानों को भी गोली मारने के आदेश दिए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव सरकार ने नक्सल प्रभावित इलाकों में नियद नेल्लानार योजना शुरू की है। नियद नेल्लानार का मतलब होता है आपका अच्छा गांव। इस योजना के तहत बस्तर क्षेत्र में सुरक्षा शिविरों के 5 किलोमीटर के दायरे में जो गांव हैं उन्हें विकास से जोड़ा जाएगा। सुरक्षा कैंपों के माध्यम से गांव वालों तक सुविधाएं पहुंचाने और उन तक सरकार की सभी लाभकारी योजनाओं को पहुंचाया जाएगा। ग्रामीणों के लिए नि:शुल्क बस सेवा , चिकित्सा कैंप लगाकर उनका इलाज करने का काम शुरू हो चुका है। इसी का परिणाम है कि तीन माह से भी कम समय में 150 से अधिक नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर हिंसा का रास्ता छोड़ दिया है।
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