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आवाज़ के अलग जादूगर -किशोर कुमार

05 Aug 2023   473 Views

आवाज़ के अलग जादूगर -किशोर कुमार

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०- संजय दुबे

 

1969 का साल था, तब के जमाने मे मनोरंजन के नाम केवल रेडियो हुआ करता था। एक फिल्म  आयी थी उस दौर में- आराधना,।  राजेश खन्ना के स्टारडम या कहे सुपर स्टार बनने की भी शुरुआत थी। एक आवाज़ राजेश खन्ना के पार्श्वगायन के लिये चुनी गई।ये आवाज़ थी किशोर कुमार की।आनंद बक्शी के गीत - मेरे सपनों की रानी कब आएगी,  को किशोर कुमार ने ऐसा गाया कि  आगे चलकर राजेश खन्ना और किशोर कुमार पर्याय बन गए। ये युग किशोर कुमार के दूसरे युग की शुरुवात थी

अपने पहले युग मे वे देवानंद  की आवाज़ हुआ करते थे। 1957 में फंटूस फिल्म में दुखी मन मेरे किसी से न कहना  के साथ किशोर कुमार का सफर देवानंद के साथ शुरू हुआ तो देवानंद की लगभग हर फिल्म में किशोर कुमार,  स्वर लहरिया  गूंजते रही।

 किशोर कुमार ने जब सामान्य आवाज़ में गाना गाये तो उनकी लोकप्रियता में बढ़ोतरी हुई लेकिन जब वे  अवरोह (लो पीच)  में  गाये तो वे गीत इतने सुमधुर हो गए कि इन्हें जीतनी बार सुने आपको आनंद ही आएगा।  चाहे वह कहां तक ये मन को अंधेरे हो या छू कर मेरे मन को किया तूने क्या इशारा  हो या  रूकक जाना नही तू कही हार  के या  ये जीवन है इस जीवन का यही है रंग रूप गीत हो, गायन का चरम रहा।

किशोर के गाये गानों में एक अलग शैली थी जिसे वे खुद ईजाद किये हुए थे। मस्त मौला गीत जब वे गाते थे तो धूम मचती थी। बुजुर्गों ने कहा अपने पैरों पर खड़े हो कर दिखलाओ सुनकर  महसूस करिये। पल भर के लिए कोई हमे प्यार कर ले  या  मेरे महबूब कयामत होगी सुन लीजिए भाव विभोर हो जाएंगे।

 किशोर कुमार केवल गायक ही नही थे बल्कि एक अच्छे कॉमेडियन भी थे। पड़ोसन फिल्म में एक ऐसे गायक बने जो   अपने दोस्त को आवाज़ देकर प्रेम में रास्ता बनाने का जोखिम लेते है।  मेहमूद जैसा कॉमेडियन भी किशोर कुमार के सामने असहज हो जाते थे।

ऐसे थे किशोर कुमार, जो हमारे बीच शरीर के रूप में मौजूद नही है लेकिन उनकी अमर आवाज़ रोज कानो में घुलती है।

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