0- अंतिम पड़ावएक तरफ पहाड़ और घुमावदार रास्तों के अलावा कल-कल बहती अलकनंदा, भागीरथी और गंगा के लिए विख्यात उत्तराखंड के देवभूमि में भगवान शंकर ,बद्रीविशाल, और गंगोत्री के बाद 4 छोटे धाम की अंतिम कड़ी में यमनोत्री की ओर जाना था हमने गंगोत्री में जल भरते समय चिंतन किया कि क्यो न धर्म के अनुसार गंगोत्री का जल रामेश्वरम में चढ़ाने की परम्परा को मूर्त रूप दे दिया जाये। चिंतन, योजना और योजना मूर्त रूप में बदलने में समय नही लगा और ये तय हुआ कि अब देहरादून और फिर जो भी आगे सुविधा मिले उससे रामेश्वरम पहुँचा जाए। सुबह 7.15 पर हम हर्षिल से देहरादून के लिए रवानगी डाल चुके थे। उत्तरकाशी होते हुए टिहरी को एक तरफ छोड़ते हुए ऊंचाइयों के शीर्ष पर एक बार फिर सफर हुआ। 20 किलोमीटर का सफर 1 घण्टे में हो रहा था ऐसा लग रहा था कि हम देहरादून समय पर नही पहुँच पाएंगे। 1 घण्टा शेष था और 34 किलोमीटर का रास्ता शेष था। इतने में टेंपोट्रेक्स के सामने के चक्के का एक परत खुल गया। आनन फानन चक्का बदला तो 45 मिनट और 34 किलोमीटर की यात्रा शेष थी। 5.15 बज चुके थे। इंडिगो में रिकवेस्ट डाले कि ऐसी घटना हो गयी है तो उन्होने 6 बजे तक का समय दिया। एयरपोर्ट के रास्ते मे जाम और 2 जगह रास्ता भूलने के कारण 6.15 पर एयरपोर्ट पहुँचे।तब तक विकल्प में फ्लॉइट न मिलने की स्थिति में टेम्पोट्रेक्स से ही दिल्ली जाने का विचार बना चुके थे। शुक्र है कि फ्लॉईट 25 मिनट देर से आई और ईश्वर ने हमारा साथ दिया। अगले दिन हम लोग दिल्ली से उड़कर सुबह 10 बजे मदुरै पहुँच गए। मीनाक्षी मंदिर से 20 मीटर की दूरी पर होटल मिल गया। सेव् के राज्य और धोती के पहनावे के अलावा नदी पहाड़, आलू के पराठे, मैगी के क्षेत्र से सीधे नारियल, लुंगी, समुद्र, इडली दोसा, रस्सम के क्षेत्र में पहुँच गए थे। उत्तर से दक्षिण आना सचमुच पलट संस्कृति का अनुपम उदाहरण था।एक दिन हमारे पास आराम का दिन था। 12 दिन लगातार सफर की थकान मदुरे में ही आराम पाई शाम 5 बजे हम लोग गाइड के साथ मीनाक्षी मंदिर चले गए। 3 घण्टे तक मंदिर के भीतर, बाहर की निर्माण कला को निहारते रहे। विशेष पूजा किये और वापस आ गए क्योकि अगले दिन सुबह से रामेश्वरम जाना था। सुबह 5 बजे हम लोग टेम्पोट्रेक्स से 145 किलोमीटर दूर रामेश्वरम के लिए रवाना हो गए। जैसे जैसे रामेश्वरम के करीब आते जा रहे थे राम याद आने लगे थे, यही अंतिम जगह थी जहां समुद्र ने रास्ता नही दिया था तब अपने जीवन के संयमित काल मे राम ने क्रोधित होकर लक्ष्मण को धनुष बाण लाने के लिए कहा था ताकि उद्दंड समुद्र को सीख दी जा सके। हम समुद्र के किनारे किनारे चल रहे थे, समुद्र में बना रेल्वे पुल भी देखे।रामेश्वरम पहुँच कर सबसे पहले हमने गाइड लिया क्योकि अंजान क्षेत्र में जानकर आदमी रख लेना सुविधा जनक होता है। गाइड ने सभी को समुद्र में स्नान करवा कर रामनाथम मंदिर में ले गया। 15 एकड़ क्षेत्र में विस्तारित मंदिर में 4 द्वार है। मंदिर 145 खम्बो पर अवस्थित है इस मंदिर के पत्थर लंका से लाये गए है मंदिर के भीतर 22 तीर्थ कुंड है जिन्हे भगवान राम ने रावण वध के बाद ब्रह्महत्या से मुक्ति पाने के लिए शिव की पूजा करने से पहले निर्मित किया था। आश्चर्य की बात ये है कि समुद्र से 500 फीट के दूरी पर इन 22 कुंड का पानी खारा नही है और हर कुंड के पानी का स्वाद अलग अलग है। यहां टिकट कटा कर स्न्नान करना बेहतर था सो हमने भी यही किया। इन 22 कुंड का नाम है- माधव,ब्रह्महत्या, विमोचन,शंख,गायत्री, गवम,गंगा, चक्र, महालक्ष्मी, गवाक्ष,यमुना, अमृत व्यापी,अग्नि,नल,गया,शिव, अगस्त्य, नील, सूर्य,सरस्वती, सर्व,गंधमादन,चंद्र,सावित्री, और कोटि,। इनमें स्नान करने के बाद मंदिर के बाहर गंगोत्री से लाये जल का पूजन किया गया और मंदिर के भीतर के पुजारियों ने रामेश्वरम के मंदिर के भीतर रेत से बने ज्योतिर्लिंग के सामने से अभिषेक कराया। दियो की रोशनी में अद्भुत नजारा था। दक्षिण के किसी भी मंदिर में कृत्रिम रोशनी का उपयोग गर्भगृह में नही किया जाता है। हमारे द्वारा गंगोत्री से लाये जल से हमने पंडितो के माध्यम से लिंग का स्न्नान देखना आत्मीयता की अनुभूति थी। रामेश्वरम , चार तीर्थो में से एक है। हम लोग द्वारका,जगन्नाथपुरी, बद्रीनाथ पूर्व में पूर्ण कर चुके थे ,रामेश्वरम के साथ ही धर्म की परिपूर्ति हो गई। 12 ज्योतिर्लिंग में से 9 के दर्शन हो गए है। 3 शेष है, आगे जैसी प्रभु की इक्छा. 0- संजय दुबे
नई दिल्ली। कांग्रेस ने 2024 लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इसके लिए टास्क फोर्स का गठन किया है। साथ ही 8 सदस्यीय पॉलिटिकल अफेयर्स कमिटी (पीएसी) भी बनाई है।कांग्रेस की पीएसी में सांसद राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खडग़े, गुलाम नबी आजाद, अम्बिका सोनी, दिग्विजय सिंह, आनन्द शर्मा, केसी वेणुगोपाल, जितेंद्र सिंह जैसे दिग्गज नेताओं को शामिल किया गया है।अगर 2024 चुनाव के लिए बनाए गए टास्क फोर्स के सदस्यों पर नजर डालें तो इसमें पी चिदम्बरम, मुकुल वासनिक, जयराम रमेश, केसी वेणुगोपाल, अजय माकन, प्रियंका गांधी, रणदीप सुरजेवाला, सुनील कनगोलु का नाम है।सेंट्रल प्लानिंग ग्रुप फॉर भारत जोड़ो यात्रा में कई बड़ें चेहरों को शामिल किया गया है। इसमें दिग्विजय सिंह, सचिन पायलट, शशि थरूर, रंवीत सिंह बिट्टू, केजे जॉर्ज, जोथी मानी, प्रद्युत बोलदोलोई, जीतू पटवारी, सलीम अहमद को शामिल किया गया है। गौरतलब है कि चिंतन शिविर में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने संगठनात्मक बदलाव की बात कही थी।
चंडीगढ़। पंजाब में आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहे डॉ. विजय सिंगला को कैबिनेट से बर्खास्त कर दिया गया है। विजय सिंगला स्वास्थ्य विभाग में हर काम और टेंडर के बदले कमीशन मांग रहे थे। इसकी शिकायत ष्टरू भगवंत मान तक पहुंची थी। उन्होंने गुपचुप तरीके से इसकी जांच कराई। अफसरों से पूछताछ की, फिर मंत्री सिंगला को तलब किया गया। मंत्री ने गलती मान ली, इसके बाद उन्हें बर्खास्त किया गया।इस बारे में सीएम भगवंत मान ने बताया, मेरे ध्यान में एक केस आया। इसमें मेरी सरकार का एक मंत्री हर टेंडर या उस विभाग की खरीद-फरोख्त में एक परसेंट कमीशन मांग रहा था। इस केस का सिर्फ मुझे पता है। इसके बारे में विरोधी पार्टियों और मीडिया को पता नहीं है। मैं चाहता तो केस को दबा सकता था, लेकिन इससे लोगों का विश्वास टूट जाता। मैं उस मंत्री के खिलाफ सख्त एक्शन ले रहा हूं। उसे मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया गया है। पुलिस को उसके खिलाफ केस दर्ज करने के लिए आदेश दे दिए हैं।
नई दिल्ली। आइसक्रीम की बढ़ती कॉस्ट और डिमांड की वजह से इसकी सप्लाई में कमी आ रही है। इस वजह से ज्यादातर कंपनियों ने आइसक्रीम की कीमतों में 5-10 प्रश का इजाफा किया है। साथ ही आइसक्रीम कंपनियों ने 30प्रश तक प्रोडक्शन भी बढ़ाया है। कंपनियों का कहना है कि बढ़ती गर्मी की वजह से साल 2019 के मुकाबले पिछले तीन महीनों में आइसक्रीम की बिक्री 45प्रश तक बढ़ी है।इंडियन आइसक्रीम मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के मुताबिक 2022 में ज्यादा डिमांड की वजह से इंडस्ट्री के 9,000 करोड़ रुपए के अनुमान की बजाय 11,000 करोड़ रुपए के करीब पहुंचने की उम्मीद है। यह बात 80 प्राइवेट आइसक्रीम मैन्युफैक्चरर को लीड करने वाले एसोसिएशन ने कही। महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, गुजरात, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु जैसे जगहों में सबसे ज्यादा आइसक्रीम खरीदी गई।बढ़ती डिमांड की वजह बढ़ती गर्मी, रेस्टोरेंट, ऑफिस और स्कूल-कॉलेजों का खुलना रहा। दूध वाली आईसक्रीम और डेयरी बेस्ड बेवरेज दोनों में 35-40 प्रश ग्रोथ देखी गई। आइसक्रीम की बिक्री में तेजी 2 सालों के बाद आई है।
00 नागरिक अब पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, वाहन पंजीकरण प्रमाणपत्र जैसे डिजिलॉकर दस्तावेज डाउनलोड कर सकते हैं00 व्हाट्सएप उपयोगकर्ता व्हाट्सएप नंबर +91 9013151515 पर केवल 'नमस्ते या हाय या डिजिलॉकर' भेजकर चैटबॉट का उपयोग कर सकते हैंनई दिल्ली। सरकारी सेवाओं को सुलभ, समावेशी, पारदर्शी और सरल बनाने की एक बड़ी पहल के रूप में माईगव ने आज यह घोषणा की कि नागरिक अब डिजिलॉकर सेवाओं का उपयोग करने के लिए व्हाट्सएप पर माईगव हेल्पडेस्क का उपयोग करने में समर्थ होंगे। इन सेवाओं में व्हा ट्सएप पर डिजिलॉकर खाते बनाना और उन्हें प्रमाणित करना, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, वाहन पंजीकरण प्रमाण-पत्र जैसे दस्तावेज डाउनलोड करना शामिल हैं।प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्रर मोदी के नेतृत्व में सरकार डिजिटल इंडिया के माध्यम से "ईज ऑफ लिविंग" के लिए काम कर रही है। इस संदर्भ में व्हानट्सएप पर माईगव हेल्पनडेस्कन नागरिकों के लिए महत्वृपूर्ण शासन और सरकारी सेवाओं को सुनिश्चित करने की दिशा में एक प्रमुख कदम है।माईगव हेल्पडेस्क अब डिजिलॉकर सेवाओं से शुरू होकर एकीकृत नागरिक सहायता और कुशल शासन के लिए कई सेवाएं प्रदान करेंगी। नई सेवा नागरिकों को उनके घरों पर ही निम्नलिखित दस्तावेजों तक आसानी और सुविधा के साथ पहुंच स्थाुपित करने में सक्षम बनाएगी -1. पैन कार्ड2. ड्राइविंग लाइसेंस3. सीबीएसई दसवीं कक्षा उत्तीर्ण प्रमाण-पत्र4. वाहन पंजीकरण प्रमाण-पत्र (आरसी)5. बीमा पॉलिसी - दुपहिया6. दसवीं कक्षा की अंक तालिका (मार्कशीट)7. बारहवीं कक्षा की अंक तालिका (मार्कशीट)8. बीमा पॉलिसी दस्तावेज (डिजिलॉकर पर उपलब्ध लाइफ और नॉन लाइफ)देश भर में व्हाट्सएप उपयोगकर्ता व्हाट्सएप नंबर +91 9013151515 पर केवल 'नमस्ते या हाय या डिजिलॉकर' भेजकर चैटबॉट का उपयोग कर सकते हैं।मार्च 2020 में अपने लॉन्चस के बाद से व्हाट्सएप पर माईगव हेल्पडेस्क (जिसे पहले माईगव कोरोना हेल्पडेस्क के नाम से जाना जाता था) ने लोगों को कोविड से संबंधित जानकारी के प्रामाणिक स्रोतों के साथ-साथ वैक्सीन लेने के लिए समय निर्धारित करने और वैक्सीकन प्रमाण-पत्र डाउनलोड करने जैसे महत्वपूर्ण उपयोगों के साथ कोविड-19 महामारी से लड़ने में महत्वपूर्ण साधन के रूप में काम किया है। अब तक 80 मिलियन से अधिक लोग हेल्पडेस्क से जुड़ चुके हैं और 33 मिलियन से अधिक वैक्सीन प्रमाण-पत्र डाउनलोड किए जा चुके हैं। इसके माध्य म से देश भर में लाखों टीकाकरण के अपॉइंटमेंट भी बुक किए जा चुके हैं।डिजिलॉकर जैसे नए संवर्धनों के साथ व्हाट्सएप पर माईगव चैटबॉट का उद्देश्य नागरिकों के लिए संसाधनों और आवश्यक सेवाओं तक पहुंच स्थाेपित करने के लिए डिजिटल रूप से समावेशी एक व्यापक प्रशासनिक सहायता प्रणाली का निर्माण करना है।माईगव हेल्पडेस्क पर डिजिलॉकर सेवाओं का प्रस्तािव एक स्वाभाविक प्रगति है जो नागरिकों को व्हाट्सएप के आसान और सुलभ प्लेटफॉर्म के माध्यम से आवश्यक सेवाओं तक एक सरल पहुंच प्रदान करने की दिशा में बढ़ाया गया एक कदम है। डिजिलॉकर पर पहले ही लगभग 100 मिलियन से अधिक लोग पंजीकृत हैं और अब तक 5 बिलियन से अधिक दस्तावेज़ जारी किए जा चुके हैं। व्हाट्सएप पर ये सेवाएं लाखों लोगों को डिजिटल रूप से सशक्त बनाएगी और उन्हेंै उनके फोन द्वारा प्रामाणिक दस्तावेजों और जानकारियों तक पहुंच स्था्पित करने में सहायता प्रदान करेंगी। यह सार्वजनिक सेवाओं के वितरण को सुगम और बेहतर बनाने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्रज मोदी के विज़न के अनुरूप है।
0- चारधाम यात्रा का तीसरा पड़ाव ®-0- संजय दुबेगंगा आये कहां से गंगा जाए कहाँ, ये गीत सालो से सुनते आए है तब इसका उत्तर बनाते थे कि गंगा गौमुख से गंगासागर जाती है।इस पावन गंगा और इसकी सहयोगी नदियों के विपरीत हम लोग ऋषिकेश से चलते चलते केदारनाथ की यात्रा पूर्ण किये। केदारनाथ की यात्रा वास्तव में कठिन यात्रा है इस कारण थकान का ये आलम था कि एक कदम भी आगे रखना दुश्वार हो गया था। जैसे तैसे बस में सवार होकर 70 किलोमीटर दूर रुद्रप्रयाग में रुकने के अलावा कोई और विकल्प शेष नही था। 70 किलोमीटर की यात्रा में भी 4 घण्टे लग गए। रात 11 बज चुके थे बामुश्किल एक होटल मिला। छोटे चारधाम यात्रा में इतनी भीड़ थी कि होटल खाली नही मिल रहे है। बामुश्किल एक होटल मिला तो ऐसे पसरे कि कब सुबह हुई पता ही नही चला। अगर आप अपनी यात्रा में अकस्मात परिवर्तन करते है तो कठनाई के लिए तैयार रहिये। पहाड़ी एरिया में सीमित नाश्ते के रूप मैगी,आलू के पराठे, पूरी साग(भाजी),पनीर ही मिलता है। वैष्णव भोजनालय जगह जगह मिलते है। यही नाश्ते को हम लोग 15 दिन तक उपभोग करते रहे। रूद्र प्रयाग से अगले दिन हमारी यात्रा गंगोत्री के लिए प्रारम्भ हुई। हम लोग गंगोत्री से लगभग35 किलोमीटर पहले हर्षिल को अपना मुकाम बनाया था यहां काटेज की व्यवस्था थी। भागीरथी के किनारे इस जगह में देवदार के पेड़ों के बीच काटेज बहुत ही खूबसूरत थे। चारो तरफ पहाड़ो के बीच, मिलिट्री केम्प के पीछे ये जगह स्वर्ग के समान ही था। रूम में बिच्छू जरूर निकला जो जंगली क्षेत्र में शायद स्वाभाविक ही होगा लेकिन सतर्कता जरूरी है। हर्षिल से गंगोत्री की हमारी यात्रा अगले दिन आरम्भ हुई। हम लोग दोपहर का खाना खाकर गंगोत्री के लिए एक घण्टे की यात्रा के बाद पहुँचे।इस छोटी यात्रा में घुमावदार रास्ते के साथ साथ, लंबे पेड़, और बगल से बहती भगीरथी को देखना आंखों को सुकून देता है। गंगोत्री मंदिर से लगभग 1 किलोमीटर पहले से पैदल जाना होता है। मंदिर के पहले बाजार पड़ता है जहां से आप गंगा जल भरने के लिए छोटे से बड़े बर्तन मिलते है। यदि आप अपने परिवारजनों, मित्रो,शुभचिंतकों को गंगाजल देंने की मंशा रखते है तो यहां व्यवस्था है। गंगोत्री से लगभग 15 किलोमीटर दूर गौमुख है जहां से भागीरथी के रूप में गंगा बहती है और गंगोत्री में भगीरथ ने तपस्या कर देवनदी को धरती पर लाये थे। गंगोत्री में भगीरथ शिला है जिसपर भगीरथ ने तपस्या किया था। गंगोत्री में माँ गंगा का मंदिर है जिन्हें अक्षय तृतीया को खोला जाता है और दीवाली में बंद होता है। इस मंदिर में भीड़ नही मिली और सुकून से दर्शन हुए ।भागीरथी सके तेज बहाव से हमने जल भरा गंगा पूजन किया। एक घण्टे की अवधि में गंगोत्री में धारा का प्रवाह और जल स्तर बढ़ गया था। शाम की गंगा आरती में शामिल हुए।भजन गाये और पावन भूमि पर खुद के होने के लिए माँ गंगा का आभार माना। गंगोत्री में अनेक होटल, धर्मशाला की व्यवस्था है साथ ही यहाँ भोजन की व्यवस्था बद्रीनाथ ,केदारनाथ से बेहतर है लेकिन आलू की मजबूरी है। पहाड़ी क्षेत्र का मुख्य उत्पादन आलू ही है।
मुंबई। अक्षय कुमार की फिल्म पृथ्वीराज रिलीज के पहले विवादों में फंसती नजर आ रही है। हाल ही में गुर्जर महासभा ने यह दावा किया था कि पृथ्वीराज चौहान राजपूत नहीं गुर्जर राजा थे। इसके बाद राजपूतों का प्रतिनिधि कहने वाली करणी सेना इस बात से नाराज हो गई और फिल्म के मेकर्स से टाइटल बदलने की मांग की है। उनका कहना है कि फिल्म के नाम में सम्राट जोड़कर सम्राट पृथ्वीराज चौहान रखा जाए।करणी सेना के प्रवक्ता ने -टाइम्स ऑफ इंडिया -से बात करते हुए कहा, हम लोग यशराज फिल्म्स के सीईओ अक्षय विधानी से एक मुलाकात की है। हमने उनसे फिल्म के नाम को बदलने की बात की है और उन्होंने टाइटल बदलने का वादा भी किया है। मेकर्स हमारी मांग को माने गए हैं। वहीं अभी तक यशराज और डायरेक्टर की तरफ से इस मामले में अभी तक कोई रिएक्शन सामने नहीं आया है। इसके साथ ही इंडस्ट्री से जुड़े सूत्रों के पास भी टाइटल बदले जाने के बारे में कोई अपडेट नहीं है।प्रवक्ता ने इस मामले में आगे कहा, अगर मेकर्स फिल्म का टाइटल चेंज नहीं करते हैं। फिल्म की रिलीज भी नहीं रोकते हैं तो पृथ्वीराज पूरे राजस्थान में रिलीज नहीं होगी। हम पहले ही राजस्थान प्रदेश के एग्जिबिटर्स को इस मामले में चेतावनी दे चुके हैं। हमने उनेस कहा, अगर फिल्म के टाइटल में कोई बदलाव नहीं होता है तो हम प्रदेश में फिल्म दिखाने की इजाजत नहीं देंगे।अक्षय कुमार की पृथ्वीराज 3 जून को सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली है। इस फिल्म में अक्षय के अलावा संजय दत्त, सोनू सूद, आशुतोष राणा और मानव विज मुख्य भूमिकाओं में नजर आने वाले हैं। पृथ्वीराज से पूर्व मिस वर्ल्ड मानुषी छिल्लर अपना बॉलीवुड में डेब्यू करने जा रही हैं। फिल्म का डायरेक्शन डॉक्टर चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने किया है।
0-गौरीकुंड-केदारनाथ के बीच चलेंगे आल टेरेन व्हीकलगौरीकुंड(केदारनाथधाम)। चारधाम यात्रा को लेकर इस बार तीर्थ यात्रियों में विशेष उत्साह है। रिकॉर्ड संख्या में यात्री बाबा केदारनाथ के दर्शन को पहुंच रहे हैं। चिंता वाली बात यह है कि तीर्थ यात्री अपने साथ प्लास्टिक के सामान ले जा रहे हैं और वहां फेंक रहे हैं। केदारनाथ धाम में प्लास्टिक के कचरे के ढेर लगने शुरू हो गए हैं। वैज्ञानिकों ने इस पर चिंता जाहिर की है। गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय में भूगोल विभाग के प्रमुख प्रोफेसर एमएस नेगी ने कहा है कि केदारनाथ जैसे संवेदनशील स्थान पर जिस तरह प्लास्टिक का कचरा जमा हो गया है, वह हमारी पारिस्थितिकी के लिए खतरनाक है। इससे क्षरण होगा जो भूस्खलन का कारण बन सकता है।गौरीकुंड-केदारनाथ के बीच चलेंगे आल टेरेन व्हीकलपर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि 16 किमी लंबे गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर निकट भविष्य में आल टेरेन व्हीकल (एटीवी) दौड़ते नजर आएंगे। इसके लिए पहले पैदल मार्ग को एटीवी चलाने योग्य बनाया जाएगा। इस संबंध पर्यटन विभाग ने प्रस्ताव तैयार कर लिया है। शीघ्र इसकी औपचारिकताएं पूरी कर अग्रिम कदम उठाया जाएगा। पर्यटन मंत्री ने कहा कि चारधाम में केदारनाथ की यात्रा सबसे कठिन है। इसी को ध्यान में रखकर पर्यटन विभाग पैदल मार्ग पर आल टेरेन व्हीकल चलाने की तैयारी कर रहा है। पैदल मार्ग की स्थिति के बारे में उन्होंने जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) लोक निर्माण विभाग (लोनिवि) शाखा के अधिशासी अभियंता से जानकारी मांगी है। कहा कि एटीवी चलाने के लिए जल्द पैदल मार्ग की स्थिति सुधारी जाएगी। इस संबंध में उच्चाधिकारियों से वार्ता हो चुकी है।
0-दूसरा पड़ाव-केदारनाथ0- संजय दुबे जोशीमठ में हमारा कार्यक्रम रोप वे से पहाड़ो के खूबसूरत हिस्से ओली जाना था। लगभग 4 किलोमीटर इस रास्ते मे प्रकृति की छटा निराली है जिसे देखने के लिए आने जाने में एक घण्टे का समय लगता है। इसकी टिकट 1 हज़ार रुपये प्रति व्यक्ति है जो जीएमव्हीएन के वेबसाइट के माध्यम से ऑनलाइन कराई जा सकती है। हम टिकट बुक कराकर भी ईश्वर के दर्शन को प्राथमिकता दिए। बद्रीनाथ से केदारनाथ की दूरी241 किलोमीटर है। पुन: जोशीमठ होते हुए हम लोग पीपलकोटी में जीएमव्हीएन के अथिति गृह में रुक गए क्योकि बद्रीनाथ में रात जागरण ओर दर्शन के कारण थक गए थे। रात्रि मे आराम कर दूसरे दिन सुबह हमने चमोली,नारायण प्रयाग, कर्णप्रयाग, होते हुए हम गुप्तकाशी में पूर्व से आरक्षित किये होटल में पहुँचे। रास्ते मे देवदार के असंख्य ऊंचे पेड़, घुमावदार सड़के, बस ऊपर और ऊपर की तरफ चढ़ाई, नीचे देखो तो कई बार घबराहट भी होती कि चूक हुई और खेल खत्म लेकिन ऐसा अमूमन होता नही है। रास्ते मे केदारनाथ से वापस आते अनेक लोगो से मुलाकात हुई। हर का अनुभव जुदा जुदा था। अधिकांश लोग नकारात्मक अनुभव ज्यादा बताते है। जैसे घोड़े का गिरना, मौसम की अस्थिरता, दुर्गम रास्ता,। बहुत कम लोग उत्साह की बाते करते है। ये बात तो है कि केदारनाथ की यात्रा आसान नही है। बहरहाल हम लोग गुप्तकाशी में एक दिन रुक कर सोनप्रयाग पहुँच गए। यहां पता लगा कि मौसम की खराबी के कारण यात्रा स्थगित है ।हम लोग एक छोटे होटल जिसमे एक कमरे में 5 लोगो के रुकने की सुविधा थी ,उसमे रुक गए और रात एक बजे स्नान कर स्थानीय वाहन से 50 रुपये प्रति सवारी के हिसाब से गौरीकुंड पहुँच गए। कहते है कि गौरीकुंड में स्नान करके ही आगे जाया जाता है लेकिन हम लोग स्नान कर चुके थे। गौरीकुंड से केदारनाथ पुराने मार्ग से 16 और नए मार्ग से 21 किलोमीटर पड़ता है। पुराना मार्ग 2013 के विध्वंस के बाद बंद है। गौरीकुंड से ही केदारनाथ जाने के लिए घोड़े,पालकी, डोली मिलते है जिनकी रसीद कटती है। लोग सुबह ऑफिस खुलने का इंतज़ार करते है लेकिन घोड़े वालो के पास रसीद होती है।जिसके कारण यात्रा जल्दी प्रारम्भ हो जाती है। लोगो ने बताया कि घोड़ा सबसे विश्वसनीय माध्यम है जो लगभग 4 घण्टे का समय लेता है उसके बाद डोली(पीठ पर) और फिर 4 व्यक्तियों द्वारा पालकी में क्रमश: 5,7 घण्टे लगते है। घोड़े का किराया 2100 रुपये है केवल जाने का आने पर 1500 रुपये लगता है। हम लोग घोड़े से एक तरफ का किराया दिए क्योकि हमे केदारनाथ में रुकना था। लोग बताते है कि मार्ग संकरा है,फिसलन है, एक तरफ नदी, घाटी है,। ऐसा नही है दो घोड़े आराम से आते जाते है साथ साथ आदमी भी चलते है। अब जानवर तो इतना समझदार है नही सो थोड़ा बहुत धक्का कभी कभी लगता है। इस रास्ते पर नए घोड़े भी होते है जिनकी जानकारी हमे नही होती है, वे थकते है, चिड़चिड़ाते है,। रास्ते मे हल्की बारिश , झरने के कारण रास्ता कीचड मय हो जाता है। घोड़े लीद, पेशाब भी करते है । एक बात निराली थी घोड़ों के शौचालय भी तय है जहां रुक कर वे पेशाब करते है। उनके पानी पीने का भी स्थान तय है जहां वे स्वयमेव रुक जाते है। सबसे दुखद बात जो लगी वो थी पीठ पर इंसान को लेकर कठिन रास्ते पर बिना सर उठाये चलना,, इंसान पेट के लिए कितना बोझ उठाता है? गौरीकुंड से केदारनाथ का रास्ता मनोरम है, आप जैसे जैसे केदारनाथ की तरफ बढ़ते है। पहाड़ो की श्रंखला के साथ नदी का बहाव,घाटी और हिमाचल के मस्तक पर जमे बर्फ को देखने का आनंद ही कुछ और होता है। रास्ते मे आलू के पराठे, मैगी, नीबू पानी, चाय ,काफी, बिस्किट शीतल पेय ही नाश्ता के रूप में मिलता है। रास्ते मे भूख भी बहुत लगती है सो ये मार्ग खाते पीते ही तय करना चाहिए। आखिर 5 किलोमीटर का रास्ता कठिनतम है क्योंकि ऊँचाई बढ़ती जाती है। रास्ते मे बर्फ भी मिली। लगभग 4 .30 घण्टे के बाद हम लोग केदारनाथ से 2 किलोमीटर दूर घोड़े से उतार दिए गए। यहां से पैदल ही रास्ता तय करना होता है। हम लोग मंदिर के तरफ बढ़ रहे थे तो वो जगह भी दिखने लगी जहाँ पर 2013 में बादल फटा था। लगभग 2किलोमीटर की कतार लगीं हुई थी। हमारे साथ के कुछ लोग पहले ही पहुँच गए थे सो लाभ में रहे और एक घण्टे में ही हमे दर्शन हो गए। यहां गर्भगृह में सामान्यत: अनुमति नहीं हैं लेकिन 5000 रुपये की प्रति परिवार रसीद कटा कर रात 12 से 4 बजे तक अभिषेक कर सकते है।। दर्शन के बाद जब मंदिर और आसपास के जगह को देखकर 2013 का दौर आंखों के सामने घूम गया। मंदिर के ठीक पीछे उस समय एक विशाल शिला जिसे भीम शिला कहा जाता है ऊपर से नीचे गिरा, ये ईश्वरीय शक्ति ही है कि ये शिला बिल्कुल सुरक्षा कवच की तरह ही रुका जिसके कारण मंदिर को बादल फटने और मलबे के कारण कोई नुकसान नहीं हुआ। बाकी सारा तहसनहस हो गया था। इस बर्बादी के गवाह आसपास ही है। केदारनाथ के मंदिर का निर्माण पांडवो ने गौत्र और ब्रह्म हत्या के श्राप से मुक्ति पाने के लिए किया था। यही पर शिव नंदी के रूप में भीम को दिखे थे। कहा जाता है कि शिव पांडवो से युद्ध के कारण नाराज़ थे। उन्हें मनाने के लिए पांडव काशी से केदारनाथ आये थे। केदारनाथ मंदिर के पीछे ही आदि शंकराचार्य जी की समाधि स्थल भी है। मुझे आश्चर्य होता है कि 1400 साल पहले दक्षिण से पूर्व में ये व्यक्ति इस जगह आये कैसे होंगे? उनके लिए नतमस्तक हुआ जा सकता है। हम लोग अभिषेक के लिए यही सिंध भवन में रुक गए यहां प्रति बिस्तर 1000 रुपये किराया है, भोजन चाय नाश्ते की अलग से व्यवस्था है। रात 1 बजे हमारी बारी आई।हमने बड़ी तल्लीनता से 10-12 मिनट तक गर्भगृह में पूजा अर्चना की। जीवन मे ऐसे क्षण बहुत कम आते है जब आप ईश्वर से सीधे जुड़ पाते हो। रात विश्राम कर सुबह 5 बजे हमने पैदल ही वापस आने का निर्णय लिया। कुछ लोग जो घोड़े, डोली से गये थे वे उसी से वापस आये। हमे 8 घण्टे लगे नीचे आने में। ढलान में चलने के आदी नही है सो रुक रुक कर आये। नीचे आते आते पैरों के अंगूठे नीले पड़ चुके थे। थकावट मानो सिर से पैर में भर चुकी थी। आखिर में दो कदम चलना भी मीलो चलने जैसा लग रहा था। रास्ते मे ठंड ,गर्मी, बरसात से मुलाकात हुई। मन मे आया कि वास्तव में शिव की लीला अन्य भगवानो की तुलना में अलग ही है। एक सुझाव है कि आप जितने कम समान ले कर चलेंगे उतनी ही सुविधा होगी। गौरीकुंड से आगे गावँ में लाकर सुविधा है जहां आप अपना सामान रख सकते है। हम लोग सोनप्रयाग पहुँच कर घोड़ेवाले और डोली वालो का आभार व्यक्त किया जिनके कारण हमें केदारनाथ के साक्षात दर्शन हो पाए। जब हम गौरीकुंड से 5 किलोमीटर पहले रास्ते पर थे तब बरसात के कारण केदारनाथ यात्रा स्थगित कर दी गईं। हमने शिव का शुक्र माना कि हमे निर्विघ्न दर्शन हो पाए. कल गंगोत्री
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने पेट्रोल पर 8 रुपए और डीजल पर 6 रुपए प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी घटाने का फैसला किया है। इससे पेट्रोल 9.50 रुपए और डीजल 7 रुपए प्रति लीटर सस्ता होगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसकी जानकारी दी है। नए रेट आज रात 12 बजे से लागू होंगे।इस राहत के बाद अब दिल्ली में पेट्रोल 105.41 रु. के बजाय 95.91 रुपए और डीजल 96.67 रु. की जगह 89.67 रु. लीटर हो जाएगा। पिछले दिनों क्करू मोदी ने लोगों को महंगाई से राहत दिलाने के लिए राज्यों को एक्साइज ड्यूटी कम करने की सलाह दी थी। वहीं, वित्त मंत्री के ऐलान के बाद केरल सरकार ने भी पेट्रोल पर 2.41 रुपए और डीजल पर 1.36 रुपए के स्टेट टैक्स की कटौती की है।अभी सरकार पेट्रोल पर 27.90 और डीजल पर 21.80 रुपए एक्साइज ड्यूटी के रूप में वसूलती है। इस कटौती के बाद पेट्रोल पर 19.90 और डीजल पर 15.80 रुपए एक्साइज ड्यूटी रह जाएगी। इसे पूरे देश में पेट्रोल साढ़े 9 रुपए और डीजल 7 रुपए लीटर तक सस्ता हो जाएगा।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने फैसले पर ट्वीट कर कहा- हमारे लिए हमेशा ही लोग पहले होते हैं! आज के फैसले, विशेष रूप से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में उल्लेखनीय कमी से विभिन्न क्षेत्रों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेंगे। ये हमारे नागरिकों को राहत प्रदान करेंगे और 'जीवन की सुगमता' को आगे बढ़ाएंगे। पीएम मोदी ने कहा कि उज्ज्वला योजना ने करोड़ों भारतीयों, खासकर महिलाओं की मदद की है। उज्ज्वला योजना के लिए सब्सिडी देने के फैसले से लाभार्थियों के बजट में काफी आसानी होगी।
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