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सूबे में छह माह बाद विधानसभा का चुनाव है,ऐसे में राजनीतिक पार्टियों ने हर स्तर पर तैयारियां शुरू कर दी हैं। छत्तीसगढ़ की बात करें तो मुख्य मुकाबला कांग्रेस व भाजपा में ही होना है। हालांकि आम आदमी पार्टी,बसपा,जकांछ की मौजूदगी रहेगी। राजनीतिक पार्टियां सभी 90 सीटों पर गोपनीय सर्वे निजी एजेंसियों से करा चुकी है,करा भी रही हैं। हालांकि इस सर्वे के बारे में पार्टी की ओर से कोई अधिकृत जानकारी न तो दी जा रही है और न ही स्वीकारा जा रहा है कि ऐसा कोई सर्वे हो रहा है। लेकिन सर्वे हो रहा है और हुआ है..यह पुख्ता है।
जैसे कि उम्मीद की जा रही थी वैसी रिपोर्ट नहीं मिलने से इन पार्टियों की चिंता बढऩे लगी है। फिर भी दावा कर रहे हैं कि चुनाव आते तक मिली खामियों में सुधार कर लेंगे लेकिन जीत योग्य चेहरे की तलाश में काफी कुछ उलटफेर होना तय माना जा रहा है। जिन बिंदुओं पर सर्वे कराया जा रहा है उनमें प्रमुख है वर्तमान विधायक ने क्षेत्र में कितना काम किया,क्या फिर से मैदान में होने पर लोग पसंद करेंगे व वोट करेंगे,बीते साढ़े चार साल में आम लोगों से जुड़ाव कैसे रहा,कार्यशैली व छवि का कितना असर होगा,जातिगत समीकरण में क्षेत्र के हिसाब से कहां तक फिट बैठेंगे,स्थानापन्न चेहरा कौन बेहतर हो सकता है,सामने वाले दल की संभावित प्रत्याशी की तुलना में कहां तक सक्षम होंगे,ऐसे तमाम सवाल है जिन पर राय ली गई है,,ली जा रही है। मजे की बात यह भी है कि सर्वे इतने सधे हुए अंदाज में की जा रही कि क्षेत्र के विधायक या हारे हुए प्रत्याशी को भनक तक नहीं लग पा रही है। सियासी गलियारे में तो एक चर्चा ये भी होते रही है कि अपने भेंट मुलाकात कार्यक्रम के दौरान मौजूदा विधायकों की थाह भी मुख्यमंत्री बघेल लेते रहे हैं।
कांग्रेस लहर के बाद पिछली बार जीत कर आए वर्तमान भाजपा विधायकों समेत हारे हुए सभी सीटों पर भाजपा ने भी सर्वे कराया है। तीन-तीन नाम की सूची ली गई है। भीतरखाने की खबर है सर्वे के आधार पर राष्ट्रीय संगठन को भी रिपोर्ट भेजी गई है कि यहां गुजरात या कर्नाटका फार्मूला लागू करना मुनासिब नहीं होगा क्योंकि यहां की स्थिति कुछ और है। फिर भी अस्सी फीसदी नए चेहरे उतारने की संभावना पर पार्टी सर्वे रिपोर्ट का आकलन कर रही है। दिल्ली व पंजाब के बाद छत्तीसगढ़ में आप पार्टी संभावनाएं तलाश रही हैं,सभी सीटों पर वे मैदान में होंगे। वहीं बसपा अपने प्रभाव वाले क्षेत्र में मजबूत प्रत्याशी तलाश रही है। जोगी कांग्रेस की स्थिति पिछले चुनाव की तरह नहीं है फिर भी वे डटे रहने के मूड में हैं। कुल मिलाकर हर परिस्थिति में पार्टियां जीत योग्य चेहरे की तलाश कर रही हैं और वे कोई भी चूक नहीं करना चाहते हैं,चाहे वर्तमान विधायकों की टिकट ही क्यों न काटनी पड़ जाय?
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