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रायपुर। स्कूली परीक्षा में बारहवीं का क्लास हर दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जाता है। यहीं से बच्चे अपने आगे भविष्य का फासला तय करते हैं कि किस लाइन का चयन उन्हे करना है। यदि सामान्य तौर पर बीए या बीकाम जैसी कक्षाओं में दाखिला लेकर कालेज की पढ़ाई करनी हो तब तो कोई बात नहीं लेकिन वे बच्चे जिन्हे नीट,जेईई या अन्य प्रतियोगी परीक्षा बारहवीं की परीक्षा के साथ ही देना है। उन्हे स्कूल के साथ कोचिंग भी लेना जरूरी होता है। समय का समायोजन नहीं हो पाने के कारण वे ऐसे डमी स्कूल की तलाश में रहते हैं जहां जायें न जायें पर अटेंडेंश फूल हो जाए,प्रैक्टिल में भी सहयोग मिल जाये और परीक्षा भी देने मिल जाए,और यही पर खेला करने का मौका ऐसे निजी स्कूलों को मिल जाता है और वे भरपूर फायदा उठाकर फीस के अलावा ऊपर की फीस तगड़े रूप में वसूल कर लेते हैं। लेकिन हर बच्चा या पेरेंट्स कर पाये संभव नहीं है। वहीं ऐसे बच्चे इन प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयारी नहीं कर पाते क्योकि स्कूल व कोचिंग साथ-साथ संभव नहीं हो पाता। बड़ी बात ये है कि ऐसे स्कूलों का चिन्हांकन आप कैसे कर पायेंगे ये तो आप अपनी मजबूरी में कर रहे हैं और वे उसी मजबूरी का फायदा उठा रहे हैं। इसलिए किसी प्रकार की कार्रवाई भी संभव नहीं हैं। ये खेला प्रदेश के प्राय: हर बड़े शहरों में चल रहा है।
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