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महासमुंद। पिथौरा ब्लॉक के घोघरा ग्राम पंचायत की डेढ़ वर्ष की मासूम बच्ची ट्विंकल जो गंभीर कुपोषण (एसएएम) से जूझ रही थी। अत्यधिक कमजोर होने के कारण उसका शारीरिक विकास रुक सा गया था। उसकी मां ने इस स्थिति को सुधारने के लिए कई प्रयास किए, लेकिन स्थिति में सुधार नहीं हो रहा था। एक दिन, ट्विंकल की मां को पिथौरा में स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) के बारे में पता चला। वहां से मिली जानकारी से प्रेरित होकर वह अपने गाँव लौटीं और स्थानीय आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और मितानिन से संपर्क किया। उन्होंने एनआरसी के लाभों के बारे में विस्तृत जानकारी दी और उन्हें ट्विंकल को इस केंद्र में भर्ती करने की सलाह दी।
एनआरसी में भर्ती होने के बाद ट्विंकल की नियमित देखभाल और पोषण पर विशेष ध्यान दिया गया। कार्यकर्ता ने ट्विंकल की मां को समझाया कि कुपोषण से बचाने के लिए पौष्टिक आहार कितना जरूरी है। उन्होंने काउंसलिंग के दौरान यह भी बताया कि बाजार से मिलने वाले खाने की चीजें ट्विंकल के लिए सही नहीं हैं, और घर का बना पौष्टिक भोजन ही उसे ताकत देगा।
आंगनबाड़ी द्वारा प्रदाय रेडी टू ईट को खाने में शामिल करने की सलाह दी गई। कार्यकर्ता ने समझाया कि रेडी टू ईट को कैसे लपसी बनाकर खिलाया जाए, जिससे ट्विंकल के शरीर को सभी जरूरी पोषक तत्व मिल सकें। ट्विंकल की मां ने कार्यकर्ता की सलाह को गंभीरता से लिया और पूरी तरह से उसी के अनुसार ट्विंकल का पोषण किया। सिर्फ एक महीने में ही ट्विंकल की सेहत में उल्लेखनीय सुधार हुआ। उसका वजन बढ़ा और वह धीरे-धीरे स्वस्थ होने लगी। और वह सैम (कुपोषण) की स्थिति से बाहर आकर सामान्य स्थिति में आ गई।
एनआरसी की प्रभावशीलता और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं एवं मितानिनों के सामुदायिक प्रयासों से ट्विंकल की तरह कई बच्चे एनआरसी से लाभान्वित हो चुके हैं, यह कहानी न केवल एक बच्चे के जीवन को बदलने की है, बल्कि यह भी दिखाती है कि सही देखभाल, पोषण और सामुदायिक सहयोग से कुपोषण जैसी समस्याओं पर विजय पाई जा सकती है।
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