CNIN News Network

देश की पहली आधुनिक और आत्म-निर्भर गौ-शाला ग्वालियर में

01 Oct 2024   8 Views

देश की पहली आधुनिक और आत्म-निर्भर गौ-शाला ग्वालियर में

Share this post with:

00 प्रति दिन 3 टन सीएनजी, 20 टन सर्वोत्तम गुणवत्ता का बायो जैविक खाद मिलेगा
00 10 हजार गायों से मिलेगा 100 टन गोबर
00 कार्बन उत्सर्जन रोकने में बनेगी वैश्विक आदर्श
00 मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने जताया प्रधानमंत्री श्री मोदी और संतों का आभार
भोपाल। देश की पहली आधुनिक और आत्म-निर्भर गौ-शाला ग्वालियर में बनकर शुभारंभ के लिए तैयार है। इस गौशाला में इंडियन ऑयल कार्पोरेशन के सहयोग से 2 हेक्टेयर क्षेत्र में बायो सी.एन.जी. प्लांट स्थापित हो गया है। इस प्लांट के संचालन के लिए 100 टन गोबर का उपयोग कर प्रतिदिन 3 टन तक सीएनजी और सर्वोत्तम गुणवत्ता का जैविक खाद 20 टन मिलेगा। इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन प्लांट के संचालन एवं संधारण में भी सहयोग करेगा।
यह गौ-शाला इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन की सामाजिक जिम्मेदारी निधि से 32 करोड़ रूपये की लागत से बना है। भविष्य में विस्तार की संभावना को रखते हुए एक हेक्टेयर की भूमि आरक्षित रखी गई है। गौ-शाला को और विस्तार देने सांसद निधि से 2 हजार गायों के लिये आधुनिक शेड निर्माण के लिए 2 हजार करोड़ रूपये की राशि दी गई है।


मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और उनकी “वेस्ट टू वेल्थ” के विकास दर्शन के प्रति आभार व्यक्त किया है। उन्होने संत समुदाय के प्रति भी आभार व्यक्त किया है जो गौ-माता की सेवा कर रहे हैं। राज्य सरकार इस प्रयास के विस्तार के लिये पूरा सहयोग देगी। उल्लेखनीय है कि इंदौर में एशिया के सबसे बड़े सीएनजी प्लांट का संचालन हो रहा है। इसका शुभारंभ प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने किया था।
ग्वालियर की लाल टिपारा गौ-शाला आदर्श गौ-शाला में ग्वालियर नगर निगम और संत समुदाय के सहयोग से 10 हजार गायों की देखभाल की जा रही है। बायो सीएनजी प्लांट के साथ ही इंक्यूबेशन सेंटर भी जल्दी ही शुरू किया जायेगा।
क्या होंगे फायदे
प्लांट के विधिवत संचालन के दिन से ही लगभग 2 से 3 टन प्रतिदिन बायो सी.एन.जी. एवं लगभग 20 टन प्रतिदिन उच्च कोटि की प्राकृतिक खाद का उत्पादन होगा। इससे नगर निगम, ग्वालियर को भी लगभग 7 करोड़ रूपये की आय होगी।
कार्बन उत्सर्जन कम करने और जलवायु परिवर्तन के खतरों का सामना करने में समाज और सरकार के आपसी सहयोग का यह विश्व स्तरीय आदर्श उदाहरण है। बायो सीएनजी प्लांट की स्थापना से पर्यावरण सुधरेगा। स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा। गोबर धन के उपयोग से आर्थिक रूप से भी गौशाला आत्मनिर्भर बनेगी। ग्वालियर के आस-पास जैविक खेती को बढ़ावा मिलेगा। किसानों को इस प्लांट से गोबर की खाद उचित दाम पर मिल सकेगी।
ग्रीन ऊर्जा उत्पादन में आगे बढ़ता मप्र
मध्यप्रदेश ने क्लीन और ग्रीन ऊर्जा उत्पादन की ओर तेजी से कदम बढ़ा दिये हैं। केन्द्रीय पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय की ताजा रिपार्ट के अनुसार गांवों में बायो गैस संयंत्रों की स्थापना में मध्यप्रदेश देश में तीसरे स्थान पर है। पहले स्थान पर चंडीगढ और दूसरे पर उत्तर प्रदेश है। मध्यप्रदेश में 104 बायोगैस संयंत्र विभिन्न गांवों में संचालित हैं। सबसे ज्यादा 24 बैतूल में, बालाघाट 13 में और सिंगरौली में 12 हैं। स्थानीय स्तर पर स्वच्छ ऊर्जा उपलब्ध होने के साथ ही यह कार्बन उत्सर्जन रोकने में भी मदद करती है।

Share this post with:

POPULAR NEWS

© 2022 CNIN News Network. All rights reserved. Developed By Inclusion Web