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रीवा। धर्म की नगरी के नाम से मशहूर चित्रकूट में बनवास काल भगवान राम पत्नी सीता भाई लक्ष्मण के साथ चित्रकूट आए थे। चित्रकूट में जाकर भगवान राम ने 12 वर्ष वनवास काल चित्रकूट के पर्वतों में बिताया था। भगवान राम प्रयागराज से चलकर चित्रकूट पहुंचकर पहले वाल्मीकि आश्रम गए थे। वहां वाल्मीकि ऋषि से मुलाकात कर अपने रहने का स्थान पूछा था।
उन्होंने कहा था कि चित्रकूट गिरी करहु निवासु जहा तुम्हार सब भात सुपासू यह चौपाई गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरितमानस पर उल्लेख की है। भगवान राम चित्रकूट पहुंचे यहां कामतानाथ पर्वत पर ऋषि मुनियों के साथ प्रसंग किया।
भरत राम को मनाने चित्रकूट पहुंचे इनका जहां मिला हुआ उसे मंदिर को भरत मिलाप मंदिर के नाम से जानते हैं। अब 22 जनवरी को अयोध्या में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा हो रही है इसलिए अब इस मंदिर में भी श्रद्धालुओं का तांता लगना शुरू हो गया है। ऐसा नहीं है कि केवल अभी इस मंदिर में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं हालांकि भारत मिलाप मंदिर का एक अपना ऐतिहासिक महत्व पहले से बिरहा है लेकिन इन दोनों भक्तों की भीड़ ज्यादा लग रही है।
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