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वर्तमान शिक्षा नैतिक मूल्यों के बिना अधूरी है - डॉ चन्देल

02 May 2024   209 Views

वर्तमान शिक्षा नैतिक मूल्यों के बिना अधूरी है - डॉ चन्देल

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00 सफल होने के लिए जीवन में चुनौतियों का सामना करना होगा - टी. रामाराव
00 वर्तमान शिक्षा जीविकोपार्जन तक सीमित - ब्रह्माकुमारी सविता
00 शान्ति सरोवर रिट्रीट सेन्टर में दस दिवसीय समर कैम्प शुरू
रायपुर। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय के शिक्षाविद सेवा प्रभाग द्वारा बच्चों के नैतिक एवं आध्यात्मिक उत्थान के लिए शान्ति सरोवर रिट्रीट सेन्टर में आयोजित समर कैम्प का शुभारम्भ इन्दिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चन्देल, आंजनेय विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. टी. रामाराव, रायपुर संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी और ब्रह्माकुमारी अदिति दीदी ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित करके किया।
इन्दिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चन्देल ने कहा कि पहले घर में माता-पिता और बुजुर्गों से जो शिक्षा मिलती थी वह आज नहीं मिल पा रही है। नैतिक शिक्षा के अभाव में हम बच्चों को भविष्य में मिलने वाली असफलता के लिए तैयार नहीं कर पा रहे हैं। फलस्वरूप बच्चे अपने जीवन को ही समाप्त कर लेते हैं। वर्चुअल शिक्षा पर ज्यादा निर्भर होने के कारण परिवार में वैचारिक लेन-देन का अभाव सा हो गया है। उन्होंने कहा कि वर्तमान प्रतिस्पर्धा के युग में टिके रहने के लिए आशा और निराशा दोनों का सामना करने की शक्ति हमारे अन्दर होनी चाहिए। इसलिए पारम्परिक शिक्षा पद्घति में नैतिक शिक्षा को शामिल करने की जरूरत है।
आंजनेय विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. टी. रामाराव ने कहा कि जीवन में अनेक समस्याएं आएंगी किन्तु उन चुनौतियों से घबराकर दूर नही भागना है। बल्कि उनका सामना कर आगे बढऩा है। तभी हम सफल कहलाएंगे। उन्होंने बतलाया कि घड़ी को अंग्रेजी में वाच कहते हैं। इसका एक-एक शब्द हमें शिक्षा देता है। पहला शब्द है डब्लू जो कि हमें बतलाता है कि वाच युअर वर्ड अर्थात अपने शब्दों पर ध्यान दो। सबसे मीठा बोलो। कटु वचन न बोलो। फिर है -ए शब्द जो कहता है कि वाच युअर एक्शन अर्थात अच्छे कर्म करो। फिर आता है -टी शब्द जो कहता है कि वाच युअर थॉट्स। सदैव सबके लिए शुभ सोचो। फिर है सी अर्थात वाच युअर कैरेक्टर। हमारा व्यवहार ठीक हो। अन्त में है-एच शब्द जो कहता है कि वाच युअर हार्ट अर्थात इस जगत में जितने प्राणी हैं उन सबके साथ प्रेम से रहना।
रायपुर संचालिका ब्रह्माकुमारी सविता दीदी ने कहा कि आज बच्चों के सामने जीवन को महान बनाने का कोई लक्ष्य नहीं है। जिसके परिणामस्वरूप वर्तमान शिक्षा महज जीविकोपार्जन का माध्यम बनकर रह गई है। ऐसे समय पर ब्रह्माकुमारी संस्थान एकमात्र ऐसा संगठन है जहॉं पर मानव मात्र को दैवी गुणों से सम्पन्न बनाने का कार्य किया जा रहा है। राजयोग शिक्षिका ब्रह्माकुमारी अदिति दीदी ने कहा कि बाल्यावस्था जीवन का सबसे अनमोल समय है। इस समय हम जैसा चाहें वैसा अपने संस्कारों और विचारों को ढाल सकते हैं। बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ दैवी गुणों को धारण करने पर भी पूरा ध्यान देना चाहिए। तब ही उनका व्यक्तित्व सम्पूर्ण और आकर्षक बन सकेगा। इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार प्रियंका कौशल ने भी विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन ब्रह्माकुमारी रूचिका दीदी ने किया।

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