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जीवन में गणित की जरूरत हर कदम पर - इन्जीनियर राव

11 May 2024   36 Views

जीवन में गणित की जरूरत हर कदम पर - इन्जीनियर राव

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रायपुर। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय द्वारा चौबे कालोनी में आयोजित प्रेरणा समर कैम्प में मोटिवेशनल स्पीकर इन्जीनियर बी. एन. राव ने बच्चों के मन में गणित के प्रति रूचि पैदा करते हुए बहुत ही सरलता के साथ उनकी कठिनाईयों का समाधान किया। इन्जीनियर बी. एन. राव ने कहा कि आप जीवन में वकील, डॉक्टर कुछ भी बन जाएं किन्तु गणित की आपको हर कदम पर जरूरत पड़ेगी। गणित के अधिकांश आविष्कार हमारे देश में हुए किन्तु यहाँ गणित को उतना महत्व नहीं दिया जाता है जितना कि अमेरिका आदि देशों में महत्व है। इन्जीनियरिंग कर लेना महत्वपूर्ण नहीं है लेकिन आप कितने बड़े गणितज्ञ बनकर निकलते हैं यह बात अधिक महत्व रखता है।
उन्होंने कहा कि इतिहास को आप रट सकते हो लेकिन गणित को नहीं रट सकते। उसे समझकर हल करना पड़ता है। गणित एकमात्र ऐसा विषय है जिसमें पूरे नम्बर प्राप्त किए जा सकते हैं। हमारे देश में कई महान गणितज्ञ हुए हैं जिन्होंने देश का नाम रोशन किया है। इस देश के महान गणितज्ञों ने वर्षों पहले धरती से सूर्य के बीच की दूरी को गणना करके बतला दिया था। यहाँके बच्चे अन्य देशों की अपेक्षा गणित में होशियार होते हैं। अमेरिका में यह हालत है कि वहाँ के बच्चे बिना केलकुलेटर के छोटी मोटी गणना भी नहीं कर सकते हैं।
उन्होंने बताया कि हमारा देश एक समय पर सोने की चिडिय़ा कहलाता था। अब फिर से वैसा ही बनने वाला है। आजकल हम लोग कुर्सी-टेबल में बैठकर खाते और पढ़ते हैं जिससे एनर्जी निकल जाती है। पालथी मारकर बैठने से एनर्जी सुरक्षित रहती है। उन्होंने राईट ब्रेन को एक्टिवेट करने के लिए बच्चों को अभ्यास बतलाया कि मार्निंग में एक से सौ तक की गिनती गिनना और बाद में उसे उल्टे क्रम में अर्थात सौ से एक तक गिनकर अभ्यास करना। यदि दोनों गणना में एक बराबर समय लगता है इसका मतलब है कि आपका राईट ब्रेन जागृत हो चुका है। ब्रेन का यही हिस्सा गणना करने का कार्य करता है।
इन्जीनियर बी. एन. राव ने बताया कि सचिन तेन्दुलकर महान बैट्समैन अपनी मेहनत और लगन से बने। उन्होंने एक इन्टरव्यू मेें बताया था कि क्रिकेट में दोहरा शतक लगाने के बाद अगले दिन वह आराम नहीं करते थे और न ही सोशल मीडिया में अपनी तारीफ ही ढूँढते थे। बल्कि वह सुबह छ: बजे उठकर प्रैक्टिस के लिए चले जाते थे। वह अपनी काबिलियत और हुनर को निरन्तर बनाए रखने के लिए मेहनत करते थे। इसी प्रकार हमें भी आगे बढऩे के लिए लगातार प्रयास करना चाहिए।

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