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कर्नाटक। विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया गया है। सभी 224 विधानसभा सीटों पर एक ही चरण में 10 मई को मतदान होगा और 13 मई को नतीजे घोषित कर दिए जाएंगे। भाजपा और कांग्रेस, दोनों ने कहा है कि वे चुनाव के लिए तैयार हैं। भाजपा ने जहां 224 में से 150 से अधिक सीट जीतने का लक्ष्य रखा है, वहीं कांग्रेस मिशन 140 पर काम कर रही है।कर्नाटक में विधानसभा की कुल 224 सीटें हैं। सरकार बनाने के लिए 113 सीटों की जरूरत होती है। साल 2018 के चुनावों में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। भाजपा को 104 सीट मिली थी, वहीं कांग्रेस को 80, तो जेडीएस को 37 सीटों से संतोष करना पड़ा था।
किसी दल को बहुमत नहीं मिला तो कांग्रेस और जेडीएस ने मिलकर सरकार बनाई। हालांकि यह गठबंधन लंबे समय तक नहीं चल सका और दोनों दलों के कई नेताओं के भाजपा में शामिल होने के बाद भाजपा ने सरकार बना ली। पहले बीएस येदियुरप्पा को सीएम बनाया गया और अभी बसवराज बोम्मई सीएम हैं।इस बार भाजपा, कांग्रेस और जेडीएस अकेले चुनाव लड़ रही हैं। वहीं आम आदी पार्टी और ्रढ्ढरूढ्ढरू भी मैदान में हैं। इससे वोटों का ध्रुवीकरण होगा। कहा जा रहा है कि इससे भाजपा को फायदा होगा। हालांकि जेडीएस को लेकर भरोसा नहीं किया जा सकता है। चुनाव बाद यह किसी भी गठबंधन में शामिल हो सकती है।
2018 के विधानसभा चुनावों में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। उसे सबसे ज्यादा 36 फीसदी वोट भी मिले थे। इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा जबरदस्त सफल रही। 2019 के वोट प्रतिशत से हिसाब लगाया जाए तो इन चुनाव में भाजपा को 177 सीटें मिल सकती हैं।
भाजपा ने जहां अपने द्वारा किए गए विकास का मुद्दा बनाया है। वहीं कांग्रेस भ्रष्टाचार को सबसे बड़ा मुद्दा बना रही है। भाजपा ने लिंगायत आरक्षण और हिजाब के साथ ही मंदिर-मस्जिद में लाउडस्पीकर को मुद्दा बनाया है, वहीं कांग्रेस ओल्ड पेंशन बहाल करने का वादा कर रही है। जेडीएस ने आधी कीमत में सिलेंडर देने और ऑटो रिक्शा चालकों को 2000 रुपए महीना देने का वादा किया है। कांग्रेस के लिए चुनौती इसलिए भी बड़ी है कि उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे इसी राज्य से आते हैं।
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