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उत्तरप्रदेश में समाजवादी पार्टी के साथ समझौते में जो 17 सीट कांग्रेस को मिली है उसमे गांधी परिवार की दो परंपरागत सीट रायबरेली और अमेठी भी शामिल है। 2019 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को उत्तरप्रदेश की 80 लोकसभा सीट में से एक ठुला सीट रायबरेली ही मिली थी। इस सीट से इंदिरा गांधी, राजीव गांधी के जीतने के कारण इस सीट को पहले भारत के दो प्रधान मंत्री की सीट के कारण जाना जाता रहा है इनके बाद सोनिया गांधी रायबरेली से प्रतिनिधित्व कर रही थी। व्यक्तिगत कारणों से सोनिया गांधी लोकसभा चुनाव लडने के बजाय राजस्थान से राज्यसभा में जा चुकी है।
2019 में राहुल गांधी, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के रूप में अमेठी लोकसभा सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी के रूप में चुनाव लडे थे। समय रहते नजाकत को समझे तो वायनाड से भी प्रत्याशी बन गए। अच्छा किए अन्यथा उनको भी किसी राज्य से राज्यसभा में प्रवेश करना पड़ता। राहुल गांधी को स्मृति ईरानी ने 55हजार वोट से हरा कर तगड़ा झटका दिया था। 2014 और 2019 में क्रमश: 44 और 52 सीट जीतने वाली कांग्रेस के लिए 2024 का लोकसभा चुनाव एक तरह से "एसिड टेस्ट" है क्योंकि देश भर की 543 सीट में 1984 के साल में 405 सीट जीतने वाली कांग्रेस इस बार इंडिया गठबंधन की हिस्सा है और उत्तर प्रदेश जैसे राज्य जहां नेहरू इंदिरा, राजीव के जमाने में तूती बोलती थी वहां 63 सीट समाजवादी पार्टी के लिए छोडऩा पड़ गया है। 17 सीट में रायबरेली और अमेठी छोड़ बांसगांव, सराहनपुर,देवरिया,अमरोहा, प्रयागराज, महाराजगंज, वाराणसी, अमरोहा, झांसी, बुलंदशहर, मथुरा, सीतापुर, गाजियाबाद, बाराबंकी, और फतेहपुर सीकरी है। जिनमें विपक्षी पार्टी का प्रत्याशी 2019 चुनाव में जीते है और कांग्रेस की स्थिति रायबरेली,अमेठी छोड़ बाकी 15 लोकसभा सीट पर दयनीय रही है। सराहानपुर में बसपा को 5.14 लाख, भाजपा को 4.91 मत मिले थे कांग्रेस को 2.07 लाख मत मिले, फतेहपुर सीकरी सीट में भाजपा के 6.66 लाख मत की तुलना में 1.72 लाख मत मिले। वाराणसी में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के 6.74 लाख मत की तुलना में1.51लाख मत मिले ।गाजियाबाद में भाजपा को 9.44 लाख मत की तुलना में कांग्रेस को 1.11लाख मत मिले। बाकी लोकसभा सीट में एक लाख मत भी नही मिले। वर्तमान कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत महराजगंज लोकसभा सीट में भाजपा के 7.26 लाख मत की तुलना में केवल 72 हजार मत पाई और 6.54 लाख मतों से हार गई। समाजवादी पार्टी ने महराजगंज में 3.85लाख मत पाने के बाद क्यों छोड़ा ,ये सोच का विषय है।
कांग्रेस को देवरिया में 51 हजार, झांसी में 86 हजार, बुलंद शहर में 29 हजार, मथुरा में 28 हजार, प्रयागराज में 31 हजार मत मिले। ये विधानसभा नही लोकसभा में मिले मत बता रहे है कि कांग्रेस की स्थिति कितनी दयनीय है जहां 2024 में भाग्य आजमाना है। अब बात करते है दो महत्वपूर्ण लोकसभा सीट अमेठी और रायबरेली की। अमेठी से राहुल गांधी चार बार सांसद रहे लेकिन 2019में स्मृति ईरानी में उनको 55हजार मतों से हरा दिया था। इस बार स्मृति ईरानी पहले ही नामांकन दाखिल कर अपने आत्मविश्वास को जाहिर कर चुकी थी। रायबरेली और अमेठी दोनो सीट के लिए कांग्रेस सस्पेंस बना कर रखी थी। भाजपा से टिकट न पाने वाले वरुण गांधी के कांग्रेस प्रवेश का हल्ला मचा। रायबरेली लोकसभा सीट देने की भी हवा चली लेकिन वरुण नहीं आए। प्रियंका गांधी के लिए भी रायबरेली में शोरगुल मचा लेकिन फुस्स हो गया। अंत में राहुल गांधी ,रायबरेली ये सोच कर आए है कि फिरोज गांधी,इंदिरा गांधी,राजीव गांधी, सोनिया गांधी के बाद रायबरेली के मतदाता उन्हे मौका देंगे। भाजपा ने योगी आदित्यनाथ के मंत्री मंडल के सदस्य दिनेश प्रताप सिंह को दुबारा प्रत्याशी बनाया है। सोनिया गांधी के खिलाफ सिंह को चार लाख मत मिले थे। यदि उत्तर प्रदेश की जनता अमेठी से राहुल गांधी के पलायन और कांग्रेस के गिरते ग्राफ को ध्यान में रखेगी तो परिणाम कुछ भी हो सकता है।
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