राजनांदगांव। नियम विरुद्ध वन टाइम निरीक्षक एवं उपनिरीक्षक नियमों को पूरी तरह ताक में रखते हुए बिना नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में कार्य किए जाने के बावजूद कुछ जवानों को राज्य के विभिन्न जिलों के मैदानी इलाकों में थाना प्रभारी व उपनिरीक्षक बनाए जाने की शिकायत डायरेक्ट निरीक्षक एवं उपनिरीक्षक ने राज्य के डीजीपी से की थी। इस आवेदन पर त्वरित कार्रवाई करते हुए डीजीपी ने राजनांदगांव पुलिस पुलिस कप्तान को मामले की जांच कर सात दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपे जाने के निर्देश थे। लेकिन इस मामले की जांच रिपोर्ट पुलिस कप्तान को अभी तक अप्राप्त है वहीं पुलिस मुख्यालय रायपुर को इससे संबंधित प्रगति प्रतिवेदन की कोई जानकारी भेजी गई है। प्राप्त समाचार के अनुसार सरकार ने नक्सल प्रभावित बस्तर क्षेत्र के अतिसंवेदनशील नक्सली इलाकों में पदस्थ किए गए जवानों को 10 वर्ष की सेवा अवधि पूरी होने पर मैदानी इलाकों के थाने में सीधे थाना प्रभारी बनाए जाने का जो नियम बनाया गया था उसकी पूरी तरह से धज्जियां उड़ती दिखाई दे रही है। राजनांदगांव जिले में ऐसे कुछ लोगों के नाम सामने आए है जिन्होंने इस नियम का पूर्णत पालन नहीं किया और उन्हें थानों का प्रभारी बना दिया गया। इस विषय में डायरेक्ट निरीक्षक एवं उपनिरीक्षक जिला राजनांदगांव ने इस बात से डीजीपी डीएम अवस्थी को एक आवेदन के माध्यम से 1 जनवरी 2020 को अवगत कराया था और जिसकी विस्तृत जानकारी देते हुए बताया था कि राजनांदगांव जिले में 6 निरीक्षक तथा 3 उपनिरीक्षक विगत तीन वर्षों में अपनी पदस्थापना मैदानी इलाकों में करा चुके है। जबकि उन्होंने नियमानुसार नक्सली क्षेत्रों में अपने दस वर्ष के कार्यकाल को पूरा नहीं किया है। उपरोक्त आवेदन प्राप्त होने के बाद डीजीपी ने राजनांदगांव जिले के पुलिस कप्तान को इसकी जांच करने और अपनी रिपोर्ट देने को कहा था। जिसके संदर्भ में पुलिस अधीक्षक कार्यालय राजनांदगांव ने डोंगरगढ़ के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक को डीजीपी से की गई शिकायत का हवाला देते हुए जांच करने को कहा गया था और उसकी रिपोर्ट सात दिनों के अंदर एसपी कार्यालय को भेजने के निर्देष भी दिए थे। एसपी कार्यालय से यह पत्र 15 जनवरी को जारी हुआ था। लेकिन एसपी कार्यालय से जारी हुए इस पत्र पर अभी तक किसी भी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं दिखाई देती है। शिकायतकर्ता ने अपने लिखित आवेदन में डीजीपी से शिकायत की थी कि राजनांदगांव, कवर्धा, बालोद, रायपुर, जगदलपुर और बिलासपुर में ऐसे कुल 9 लोग शामिल है जिन्हें नियम विपरीत इसका लाभ दिया गया है जबकि वे इसके पात्र भी नहीं है और पात्रता प्राप्त जवान अभी भी नक्सली इलाकों में ही पदस्थ होकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे है। जिन लोगों को नियम विरुद्ध वन टाइम का लाभ दिया गया है उनमें निरीक्षक - केशरी साहू, शिव चंद्राकर, नीलेश पांडेय, अब्दुल समीर, लक्ष्मण केंवट, रामेश्वर देशमुख, उपनिरीक्षक - दिनेश यादव, अमृत साहू और टेकाम शामिल है।अब तक प्राप्त नहीं हुआ है जांच प्रतिवेदनइस पूरे मामले में राजनांदगांव जिला पुलिस कप्तान डी. श्रवण से जब जानकारी मांागी गई तो उनका कहना था कि डायरेक्ट निरीक्षक एवं उप निरीक्षक के शिकायत के विरुद्ध जांच के लिए पत्र जारी कर दिया गया है । लेकिन अब तक इस मामले में जांच प्रतिवेदन अप्राप्त है, जिसको संज्ञान में लेते हुए शीघ्र ही उपरोक्त विषय अंतर्गत जांच प्रतिवेदन मंगाया जाएगा।