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राजनीति और सुचिता

04 Oct 2022   200 Views

राजनीति और सुचिता

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* संजय दुबे *
राजनीति के अखाड़े में जब दल आपस मे सत्ता के लिए जनता के मतदान के बाद पक्ष और विपक्ष में होते है तो नीतिगत विरोध के साथ साथ व्यक्तिगत विरोध के भी मुद्दे होते है। नीतिगत समर्थन करना सत्ता पक्ष की विशेष जिम्मेदारी होती है तो उन्ही नीतियों को जनविरोधी साबित करने का प्रयास विपक्ष का होता है। इस प्रयास में कभी कभी व्यक्तिगत आक्षेप भी लगते है और व्यक्तिगत विरोध भी होता है।
ऐसा माना जाता है और माना भी चाहिये कि व्यक्तिगत प्रशंसा भले हो जाये लेकिन आलोचना न हो और हो भी तो उसमें सुधारात्मक तत्व भी शमिलात भी रहे। कबीरदास जी ने भ कहा है कि
काना ते काना मत कहो काना जायगो रूठ
हीरे हीरे पूछ लो कैसे गई फूट
राजनीति क्या हर जगह ये उम्मीद की जाती है कि इंसान है आपस मे मतभेद हो सकते है मन भेद नही होना चाहिए। कल ऐसा ही भला उदाहरण छत्तीसगढ़ की राजनीति के परिदृश्य में देखने को मिला जिससे ये अहसास भी होता है कि "संवेदना" का मूल्य कितना है। संवेदना शब्द सम और वेदना से मिलकर बना है सम याने बराबर होता है। छत्तीसगढ़ की राजनीति में भूपेश बघेल और डॉ रमन सिंह अपनी अपनी पार्टी के राज्य स्तरीय अध्यक्ष रहे है और आगे चलकर राज्य के मुख्यमंत्री भी बने है। दोनो ही अपनी अपनी पार्टी लाइन में प्रतिबद्ध रहते हुए वैचारिक आक्रमण करते रहते है। ये पक्ष- विपक्ष की नीतिगत वैचारिक प्रतिद्वंदिता है। इससे जनहित में निर्णय होने में मदद मिलती है।
परिवार, समाज,राज्य, देश विदेश में रहने वाले व्यक्तियों को सामाजिक प्राणी माना जाता है। तमाम अंतर्विरोधों के बावजूद हममे आदमियत के बजाय इंसानियत की भावना बनी रहती है। जब कोई सुखी तो भले ही याद नही करते है लेकिन कोई दुख या परेशानी में हो तो हमारी संवेदना प्रकट हो ही जाती है। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के अंगूठे में किसी रोग के चलते दिल्ली में ऑपरेशन हुआ तो छत्तीसगढ़ के वर्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उन्हें फोन लगा कर कुशल क्षेम पूछा और शीघ्र स्वस्थ होने की मंगल कामना की। राजनीति से परे व्यक्ति के इंसान होने की यही शुभ संकेत है।जिसके अनुशरण की आवश्यकता सामाजिक प्राणी को है। हम आपसी प्रतिद्वंद्विता में वैमनस्यता को प्रमुखता देने लगते है ये नकारात्मक भावना हमे इंसान से पत्थर बनाने को प्रेरित करता है। ईश्वर की बड़ी अनुकम्पा से हमे मानव जीवन मिला है।इसमें हमे ऐसा कार्य करना चाहिए जिसकी मिसाल बने। हम किसी की गलती के लिए उसे गुनाहगार बनाने में तूल जाते है। उसे परेशान कर खुश होते है।इस प्रकार के नकारात्मक विचार हमे संवेदनशील होने से रोकते है। यदि छत्तीसगढ़ के लोग मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से संवेदना सीख सकते है तो ये इंसानियत की जीत होगी।
किसी ने कहा है
दुश्मनी करो तो ऐसा करो कि जमाना देखे
लेकिन दुश्मनी में दोस्ती की गुंजाइश जरूर रखना।

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