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विजयादशमी यानि की दशहरा पर रावण (पुतला) का वध होना तय है,तैयारी भी जोर शोर से पूरे शहर में चल रही है। रावण अपने भाई कुंभकर्ण और बेटे मेघनाथ के साथ तनकर खड़े हो गए हैं या रात तक हो जायेंगे। लेकिन पिछले कुछ दिनों से जिस प्रकार मौसम का मिजाज बदला हुआ है, रूक-रूक कर बारिश हो रही है, रावण भी डरने लगा है कहीं बारिश से वह भींग गया तो मरेगा कैसे..? फिर आयोजक कहीं उन्हे मारने दूसरी तरकीब न निकाल ले? दुर्गति से बचने वह आज के भगवान राम (रामलीला के पात्र) के हाथों मरना चाहेंगे ताकि उन्हे मुक्ति मिल सके। इसलिए इंद्रदेव से मिन्नत कर रहे हैं कि कल तक बारिश हर हाल में रोक दें,ताकि शांति से मर सके। वैसे भी कहीं भाजपा तो कहीं कांग्रेस तो कहीं जोगी कांग्रेस तो कही आम आदमी पार्टी सबके अपने अलग-अलग रावण हैं जिन्हे मारने की तैयारी आयोजन समिति के माध्यम से की जा रही है। रावण को पिछले दो सालों तक कोरोना ने परेशान कर रखा था अब बारिश बाधा डालने लगा है। वैसे भी पुराना इतिहास देखें तो शहर में कई बार ऐसा हुआ है कि रावण को पानी में भींग जाने के कारण जबर्दस्ती मारना पड़ा है। रेनकोट से लेकर बड़े तालपत्री का उपयोग किया जा रहा है ताकि रावण पुतला पूरी तरह से सुरक्षित रहे, पूरा हालिया किस्सा रावण पुतला व बारिश को जोड़कर है आयोजन समिति के लोग भी डरे हुए हैं कहीं बारिश कल असर दिखा दिया तो सब कुछ किये धरे पर पानी फिर जायेगा...। जय लंकेश..।
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