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भोपाल। चाह गई चिंता मिटी, मनुआ बेपरवाह। जिनको कछु न चाहिए, वे साहन के साह। रहीम का यह दोहा शनिवार को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की दौड़ से बाहर हुए मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने सोशल मीडिया पर शेयर किया।
इस दोहे का मतलब यह है कि जब किसी बात की चाहत खत्म हो जाए तो मन बेपरवाह हो जाता है। जिसे कुछ नहीं चाहिए होता वही राजाओं के राजा होते हैं।दिग्विजय के इस ट्वीट से लगता है कि कहीं न कहीं उनके कांग्रेस अध्यक्ष पद की रेस से बाहर होने का दर्द छलक रहा है। बता दें कि शुक्रवार को राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष (इस पद से इस्तीफा दे चुके हैं) मल्लिकार्जुन खडग़े ने अध्यक्ष पद के लिए नामांकन भरने सहमति दी, तो दिग्विजय सिंह इस रेस से हट गए थे। इतना ही नहीं, वे खडग़े के प्रस्तावक भी बने हैं।
बता दें कि शुक्रवार को सबसे ज़्यादा चर्चा इस बात पर हो रही थी कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के मुकाबले से आखिरकार दिग्विजय सिंह पीछे क्यों हट गए? उन्होंने नामांकन का पर्चा लिया था लेकिन उसे जमा नहीं किया। अगले ही दिन यानी शनिवार को उन्होंने अपनी भावनाएं रहीम के एक दोहे के बहाने बयां की।
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