CNIN News Network

सचिन के अर्जुन

12 Aug 2022   282 Views

सचिन के अर्जुन

Share this post with:

- संजय दुबे -
समाज मे प्रतिष्ठित व्यक्ति की इक्छा होती है कि उनकी संतान उनके पद चिन्हों पर चले। राजनीति, फिल्म, उद्योग और खेल जगत से संबंध रखने वाले विरासत में अपने स्थापित कार्य को हस्तांतरित करने की ख्वाहिश रखते है। संतान सफल हो पाते है या नही ये बात भविष्य के गर्त में छिपी होती है । सफलता मिलने पर मनोरथ पूर्ण हो जाती है लेकिन पूरा न होने पर जो गुजरती है उस दर्द को समझना कठिन होता है।
ऐसे ही दौर से क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर और उनके पुत्र अर्जुन तेंदुलकर गुजर रहे है।एक तरफ सचिन को देखे तो दुनियां के हर सर्वश्रेष्ठ क्रिकेट खिलाड़ी के ड्रीम टीम में वे शुमार होते है। क्रिकेट दुनिया का हर कप्तान चाहता है कि उसके बल्लेबाज़ सचिन से सीखे। हर देंदबाज़ चाहता रहा है कि उसके विकेट लिस्ट में सचिन का विकेट हो।क्रिकेट की दुनियां में सचिन के समय दो फॉर्मेट टेस्ट और एकदिवसीय मैच हुआ करते थे, टी20 के शुरुवात का दौर था तब सचिन 200 टेस्ट और 100 शतक के अनोखे रिकार्ड के धारक बने थे। एकदिवसीय क्रिकेट में व्यक्तिगत रूप से दोहरा शतक लगाने की परंपरा की शुरूवात भी सचिन ने ही किया था। स्थापित बल्लेबाज होने के साथ साथ वे उपयोगी स्पिन गेंदबाज भी थे।
सचिन के घर मे जब अर्जुन ने जन्म लिया तब सचिन क्रिकेट जगत में धूमकेतु बने हुए थे। क्रिकेट का आदर्श वातावरण उनके घर मे था। वे देश को एक अद्भुत खिलाड़ी देने की चाह में अपने पुत्र को बाये हाथ का बल्लेबाज़ और तेज़ गेंदबाज बनाने के लिए भगीरथ प्रयास किया लेकिन उनके प्रयास को वैसी सफ़लता नही मिली जैसे सुनील गावस्कर को अपने पुत्र रोहन गावस्कर को भी स्थापित करने में नही मिली थी।
सचिन और सुनील देश के दो कद्दावर क्रिकेट खिलाडी रहे है लेकिन अपने पुत्रों के लिए दोनो को भारी पापड़ बेलने पड़े है। संयोग से दोनो मुंबई से है और दोनों के पुत्र मुम्बई की रणजी क्रिकेट टीम में स्थाई स्थान नही बना सके। सुनील गावस्कर थक हार कर अपने पुत्र को पश्चिम बंगाल से खिलाने के लिए योजना बनाई अब अर्जुन तेंदुलकर को मुंबई में जगह नही मिल पा रही है तो वे गोवा से खेलने की मंशा रख रहे है।
सुनील गावस्कर के पुत्र तो कम से कम 11 एकदिवसीय मैच देश के लिए खेल भी लिए लेकिन अर्जुन तेंदुलकर को अभी तक देश की तरफ से तो क्या न तो मुम्बई और न ही आईपीएल में मुम्बई इंडियन की तरफ से खेलने का अवसर मिला है।
कई बार छिछोरे और 3 इडियट्स फिल्म की याद आ जाती है कि दरअसल अभिभावक समझ ही नही पाते है कि उनकी संतान आखिर बनना क्या चाहती है? वे अपनी महत्वाकांक्षा को संभावना के आधार पर अपने संतानों को अभिमन्यु मान लेते है। सचिन अगर सुनील गावस्कर से बल्लेबाज़ी के साथ साथ अपने पुत्र के प्रति आशक्ति और परिणाम को देख लेते तो शायद अर्जुन किसी और क्षेत्र में सफलता के झंडे गाड़ते रहते। ये लेख केवल आज के पहले जो हो चुका है उसके आधार पर है। भविष्य को कोई नही जानता हो सकता है गोवा से अर्जुन एक नए रूप में अवतरित हो और अपने पिता के बराबर तो नही, क्योकि पिता सचिन तो अर्जुन की वर्तमान उम्र 24 साल के बराबर ही क्रिकेट खेला है, अपना नाम देश की टीम में शुमार कर ले

Share this post with:

POPULAR NEWS

© 2022 CNIN News Network. All rights reserved. Developed By Inclusion Web