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भारतीय ज्योतिष में मंगल ग्रह को काफी प्रभावशाली माना गया है। मंगल ग्रह कुछ घंटों के बाद 30 अक्टूबर 2022 को मिथुन राशि में वक्री होने वाले हैं। मंगल ग्रह को लाल ग्रह भी कहा जाता है और पौराणिक मान्यता है कि मंगल को धरती माता के ही पुत्र हैं। सनातन धर्म में मंगल ग्रह का संबंध देश के विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न देवी-देवताओं से संबंधित बताया गया है। इसके अलावा दक्षिण भारत में मंगल देव को भगवान कार्तिकेय के नाम से जोड़कर देखा जाता है। भगवान कार्तिकेय को दक्षिण भारत में मुरुगन देवता के नाम से भी जाना जाता है। इसके अलावा उत्तर भारत में भगवान हनुमान के साथ भी मंगल ग्रह का नाता पौराणिक ग्रंथों में बताया गया है।
किन कारकों को प्रभावित करता है मंगल ग्रह
भारतीय ज्योतिष में मंगल ग्रह को एक उग्र ग्रह के रूप में दिखाया गया है। सभी नौ ग्रहों में से मंगल और सूर्य शरीर में अग्नि तत्व को नियंत्रित व प्रभावित करते हैं। मंगल ग्रह के कारण ही जीवन शक्ति, शारीरिक ऊर्जा, सहनशक्ति, समर्पण, इच्छाशक्ति, कार्य को पूर्ण करने की ऊर्जा प्राप्त होती है। यदि किसी व्यक्ति के लग्न कुंडली में मंगल का प्रभाव अधिक होता है, तो ऐसे लोग साहसी होते हैं और हमेशा आगे बढ़ना पसंद करते हैं। साथ ही जिन लोगों की कुंडली में मंगल ग्रह की स्थिति मजबूत होती है, वे लोग प्रौद्योगिकी और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में अपना करियर बनाते हैं।
मंगल ग्रह के वक्री होने की समयावधि
हिंदू पंचांग के मुताबिक मंगल ग्रह मिथुन राशि में वक्री 30 अक्टूबर 2022, रविवार को शाम 6.19 बजे होगा। मंगल ग्रह की यह वक्री दशा सिर्फ 13 नवंबर तक ही रहेगी, उसके बाद मंगल ग्रह वृभष राशि में विराजमान हो जाएंगे। आपको बता दें कि वक्री गति का मतलब होता है, जब कोई ग्रह पीछे की ओर बढ़ने लगता है। इस स्थिति में पृथ्वी से देखने पर कोई विशेष ग्रह पीछे की ओर बढ़ता हुआ दिखाई देता है, इसलिए इस स्थिति को वक्री स्थिति कहा जाता है।
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