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सुरक्षाबल के 200 कैंप से नक्सलियों का आखिरी किला बस्तर ध्वस्त होने के कगार में पहुंचा

22 Apr 2024   44 Views

सुरक्षाबल के 200 कैंप से नक्सलियों का आखिरी किला बस्तर ध्वस्त होने के कगार में पहुंचा

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जगदलपुर। नक्सलियों के नेटवर्क को मोटे तौर पर समझा जाए तो आंधप्रदेश के नक्सलियों ने अपनी गतिविधि को व्यवस्थित करने के लिए दो क्षेत्र बनाए हैं। एक मैदानी क्षेत्र है, जिसमें निजामाबाद, करीमनगर, वारंगल, भेण्डक, हैदराबाद, नलगोण्डा जिले शामिल हैं। दूसरा दण्डकारण्य क्षेत्र है, जिसके तहत सीमांध/तेलंगाना के आदिलाबाद, खम्मम: पूर्वी गोदावरी, विशाखापट्टनम, ओडिशा का कोरापुट, महाराष्ट के भण्डारा, चंद्रपुर, गढ़चिरौली, छत्तीसगढ़ के बस्तर, राजनांदगांव तथा मध्यप्रदेश के बालाघाट व मंडला जिले सम्मिलित हैं। नक्सलियों द्वारा अपने प्रभाव क्षेत्र को विस्तारित करने के लिए चिह्नित दण्डकारण्य क्षेत्र 188978 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। नक्सली समूहों की एकता के बाद से अबूझमाड़ क्षेत्र उनका आधार इलाका कहलाता है। गुरिल्ला जोन और गुरिल्ला बेस के बीच का फर्क केवल शाब्दिक नहीं है। गुरिल्ला जोन को माओवाद प्रभावित इलाका कह सकते हैं अर्थात वह क्षेत्र जहां नियंत्रण के लिए संघर्ष हो रहा है और राज्य अनुपस्थित नहीं है। केंद्रीय माड़ इलाके को छोड़कर बस्तर संभाग के बहुतायत सघन वन क्षेत्र गुरिल्ला जोन के अंतर्गत आते हैं। ये नक्सलियों का आधार क्षेत्र है। यहां सुरक्षा बल आसानी से नहीं घुस सकते। यहां कथित जनताना सरकार के काम करने का दावा है। लेकिन पिछले पांच वर्ष में बस्तर में लगभग 200 सुरक्षा बल के कैंप स्थापित करने के साथ ही नक्सलियों का आखिरी किला बस्तर अब पूरी तरह से ध्वस्त होने के कगार में पहुंच गया है।

पुलिस महानिरीक्षक बस्तर रेंज सुंदरराज पी. ने बताया कि नक्सली भय का साम्राज्य खड़ा कर ग्रामीणों में डर कर माहौल बनाकर बस्तर में 40 वर्ष तक नक्सली अपना राज चलाते रहे। पहले जंगल में सुरक्षा बल के घुसते ही नक्सलियों का मिलिशिया और संघम सदस्य का नीचला तंत्र सक्रिय हो जाता था। इससे सुरक्षा बल को अभियान में कठिनाई आती थी। मजबूत सूचना तंत्र के दम पर नक्सली बच निकलते थे या सुरक्षा बल को निशाने पर ले लेते थे। जंगल के भीतर मजबूत नक्सलतंत्र के कारण ही ताड़मेटला में 76, रानीबोदली में 55, टेकुलगुड़ेम में 22 जवानों के बलिदान की घटनाएं सामने आई थी। अब दशकों बाद बस्तर में परिस्थितियां बदली हुई दिखाई दे रही है। पिछले पांच वर्ष में बस्तर मेंलगभग 200 सुरक्षा बल के कैंप स्थापित करने के साथ ही सामुदायिक कार्यक्रम चलाकर ग्रामीणों में नक्सलियों के भय के सम्राज्य को समाप्त कर उनका भरोसा जीतने का काम सुरक्षा बल ने किया है।

उल्लेखनिय है कि नक्सलियों को मोर्चे पर लगातार मिल रहे पराजय से नक्सल संगठन के भीतर बौखलाहट दिखाई दे रही है। नक्सलियों ने नारायणपुर में भाजपा नेताओं को मारने की धमकी का पर्चा फेंका है, जिसमें भाजपा नेता जयप्रकाश शर्मा, संजय तिवारी, गुलाब बघेल और शांतु दुग्गा को जान से मारने की धमकी दी गई है। सुरक्षा बल के अधिकारी ने बताया कि सीधे मुठभेड़ में लगातार नक्सलियों को पराजय मिल रही है इसलिए अब वे स्माल एक्शन टीम को सक्रिय कर क्षेत्र में भय का वातावरण बनाए रखने के लिए लगातार भाजपा नेताओं व ग्रामीणों को टारगेट कर हत्या कर रहे हैं। चुनावी वर्ष में अब तक एक दर्जन भाजपा नेता व इतने ही ग्रामीणों की हत्या वे कर चुके हैं।

कांकेर जिले के छोटेबेठिया मुठभेड़ में सुरक्षा बल के प्रहार से इस क्षेत्र में सक्रिय दो बड़े नक्सल संगठन दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी (डीकेएसजेडसी) सहित महाराष्ट्र-मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ (एमएमसी) जोनल कमेटी को तगड़ा झटका लगा है। नक्सलियों ने पर्चा जारी कर स्वीकार किया है कि छोटेबेठिया में मारे गए नक्सलियों में से दस नक्सली एमएमसी जोन व 14 डीकेएसजेडसी के थे। मुठभेड़ में उत्तर बस्तर डिविजनल कमेटी प्रभारी शंकर राव, पत्नी एरिया कमेटी सदस्य रीता तेलंगाना राज्य के थे, डीवीसी सदस्य ललिता भी मारी गई। मुठभेड़ में मारे गये एमएमसी जोन में सक्रिय नक्सली सुरेखा महाराष्ट्र के गढ़चिरोली, कविता नेंडूर, रजिता आदिलाबाद रीता मानपुर, विनोद मानपुर के थे।

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